यथातथानुपूर्वी
जो कथन अनुलोम व प्रतिलोम क्रम के बिना जहाँ कहीं से भी किया जाता है, उसे यथातथानुपूर्वी कहा जाता है। जैसे- हाथी, भैंसा, जलपरिपूर्ण सघन मेघ, कोयल, मयूर का कण्ठ, भ्रमर के समान वर्ण वाले, हरिवंश के प्रदीप, व शिव देवी माता के लाल ऐसे नेमीनाथ भगवान जयवंत हों, इत्यादि जहाँ कहीं से अपने इच्छित पदार्थ को आदि करके गणना करना, यथातथानुपूर्वी है।