भाव संवर
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संसार की निमित्तभूत क्रिया की निवृत्ति होना भावसंवर है । पाँच व्रत, पाँच समिति, तीन गुप्ति, दशधर्म, बारह अनुप्रेक्षा, बाईस परीषहजय, तथा अनेक प्रकार का चारित्र इस तरह ये सब भाव संवर के विशेष जानने चाहिए।
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