बहिरात्मा
जो जीव मिथ्यात्व कर्म से परिणत हो, तीव्र कषाय से आविष्ट हो तथा जीव और देह को एक मानता हो वह बहिरात्मा है अथवा मिथ्यात्व व रागद्वेष आदि कषायों से मलिन आत्मा की अवस्था को बहिरात्मा कहते हैं । प्रथम मिथ्यात्व गुणस्थान जीव उत्कृष्ट बहिरात्मा है, दूसरे सासादन गुणस्थान में स्थित मध्यम बहिरात्मा हैं और तीसरे सम्यकमिथ्यात्व गुणस्थान में जघन्य बहिरात्मा है।