फलचारणऋद्धि
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जिस ऋद्धि के धारक मुनि वन फलों में फूलों में और पत्तों में रहने वाले जीवों की विराधना न करके उनके ऊपर से जाते हैं, वह फल चारण, पुष्प चारण तथा पत्र चारण नामक ऋद्धि है ।
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