प्राप्य कर्म
- Home
- प्राप्य कर्म
Kund Kund is proudly powered by WordPress
सामान्यतया कर्ता का कर्म तीन प्रकार का कहा गया है- निर्वर्त्य, विकार्य और प्राप्य | कर्ता जो नया उत्पन्न करता है तथा विकार करके भी नहीं करता, मात्र जिसे प्राप्त करता है (अर्थात् स्वयं उसकी पर्याय) वह कर्ता का प्राप्य कर्म है।
antarang tap
Kund Kund is proudly powered by WordPress
Not a member yet? Register now
Are you a member? Login now