प्राणीसंयम
संयम दो प्रकार का है- प्राणीसंयम और इन्द्रिय संयम । पाँच रस, पाँच वर्ण, दो गंध, आठ स्पर्श, सात स्वर ये सब मन के 28 विषय हैं। इनका निरोध सो इन्द्रिय संयम है और चौदह प्रकार के जीवों की रक्षा करना सो प्राणीसंयम है। एकेन्द्रियादि प्राणियों की पीड़ा का परिहार प्राणीसंयम है। जीव रक्षा में तत्पर जो मुनि गमनागमन आदि सब कार्यों में तृण का छेद नहीं करना चाहता उस मुनि के (प्राणी) संयम धर्म होता है। त्रस व स्थावर जीवों में से किसी के भी वध के लिए मन, वचन व काय का उद्यत न होना सो प्राणीसंयम है। पृथ्वी, तेज, अप, वायु, वनस्पति ये पाँच स्थावर काय और दो, तीन, चार, पाँच इन्द्रिय वाले चार त्रस जीव इनकी रक्षा में नौ प्रकार तो प्राणीसंयम है।