प्रसंग समाजाति
वादी ने जिस प्रकार साध्य का भी साधन कहा है वैसे ही साधन का भी साधन करना या दृष्टान्त की भी वादी को सिद्धि करनी चाहिए। इस प्रकार प्रतिवादी द्वारा कहा जाना प्रसंगसमाजाति है। जैसे क्रिया के हेतुभूत गुणों का सम्बन्ध रखने वाला डेल क्रियावान जिस हेतु से माना जाता है। दृष्टान्त की भी साध्य से विशिष्टपने करके प्रतिवृत्ति करने में वादी को हेतु कहना चाहिए, उस हेतु के बिना तो प्रमेय की व्यवस्था नहीं हो सकती है।