प्रशस्त राग
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अरहन्त, सिद्ध, साधुओं के प्रति भक्ति, दान, पूजा आदि धर्म कार्यों में उत्साह और गुरूओं का अनुकरण करना प्रशस्त राग कहलाता है । यह परम्परा से मोक्ष का कारण है।
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