प्रवचन सन्निकर्ष
‘जो कहे जाते है’ इस व्युत्पत्ति के अनुसार वचन शब्द का अर्थ जीवादि पदार्थ हैं, प्रकर्ष रूप से जिसमें वचन सन्निकर्ष होते हैं, वह प्रवचन सन्निकर्ष रूप से प्रसिद्ध द्वादशांग श्रुतज्ञान है। एक वस्तु में एक धर्म के विवक्षित होने पर उसमें शेष धर्म के सत्वासत्व का विचार और उसमें रहने वाले उक्त धर्मों से किसी एक धर्म के उत्कर्ष के प्राप्त होने पर शेष धर्मों के उत्कर्षानुत्कर्ष का विचार करना सन्निकर्ष कहलाता है।