प्रमाणाभास
1 संख्याभासः- प्रत्यक्ष ही एक प्रमाण है। इस प्रकार एक या दो आदि प्रमाण मानना संख्याभास है। बौद्ध लोग अनुमान व प्रत्यक्ष दो प्रमाण मानते हैं। सांख्य लोग प्रत्यक्ष अनुमान व आगम तीन प्रमाण मानते हैं। नैयानिक लोग प्रत्यक्ष, अनुमान, आगम, व उपमान ये चार प्रमाण मानते हैं। और प्रभाकर लोग प्रत्यक्ष अनुमान, आगम, उपमान व अर्थापत्ति ये पाँच प्रमाण मानते हैं। तथा जैमिनी लोग प्रत्यक्ष, अनुमान, आगम, उपमान, अर्थापत्ति व अभाव ये छः प्रमाण मानते हैं। इनका इस प्रकार दो आदि का मानना संख्याभास है। 2. विषयाभास :- प्रमाण का विषय सामान्य ही है या विशेष या दोनों ही स्वतंत्र रहते प्रमाण के विषय हैं, ऐसा कहना विषयाभास है। 3. फलाभास :- प्रमाण से फल भिन्न ही होता है, या अभिन्न ही होता हे, ऐसा मानना फलाभास है।