प्रमाणांगुल
आठ जौ का एक अंगुल होता है वही उत्सेधांगुल, व्यवहारागुंल या सूच्यांगुल कहलाता है। पाँच सौ उत्सेधांगुल का एक प्रमाणांगुल होता है। यह प्रमाणांगुल अवसर्पिणी काल के प्रथम चक्रवर्ती के अंगुल प्रमाण है। इस प्रमाणांगुल से द्वीप, समुद्र, कुलाचल, वेदी, नदी, सरोवर, कमल तथा जल आदि क्षेत्रों का प्रमाण जाना जाता है ।