प्रभु
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जिसने केवल ज्ञान के द्वारा परमार्थ को जान लिया है, सकल तत्वों का जिसने उपदेश दिया है तथा निज स्वभाव को जिसने प्राप्त कर लिया है वह प्रभु होता है अथवा मोक्ष व मोक्ष के कारणभूत शुद्ध परिणाम से परिणमन में समर्थ होने से यह आत्मा प्रभु होता है।
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