प्रतिबन्ध्य
प्रतिबंधक भाव विरोध ऐसे हैं जैसे आम का फल। जब तक डाल में लगा हुआ है तब तक फल और डंठल संयोग रूप प्रतिबंध के रहने से गुरुत्व मौजूद रहने पर भी आम नीचे नहीं गिरता । जब संयोग टूट जाता तब गुरुत्व फल को नीचे गिरा देता है। संयोग के अभाव में गुरुत्व पतन का कारण है यह सिद्धांत है अथवा जैसे दाह के प्रतिबंधक चंद्रकान्त मणि के विद्यमान रहते अग्नि से दाह क्रिया उत्पन्न नहीं होती इसलिए मणि तथा दाह के प्रतिबध्य प्रतिबंधक भाव युक्त है।