प्रतिपाती
जिस स्थान पर जीव मिथ्यात्व को अथवा असंयम सम्यक्त्व को अथवा संयमासंयम को प्राप्त होता है वह प्रतिपात स्थान है। प्रतिपात नाम संयम से भ्रष्ट होने का है। जो संक्लेश परिणाम से संयम से भ्रष्ट होते देश संयम के अंत समय में प्रतिपात स्थान होता है । मिथ्यात्व को सम्मुख मनुष्य और तिर्यंच के जघन्य और असंयत को सम्मुख मनुष्य व तिर्यंच के उत्कृष्ट प्रतिपात स्थान होता है।