प्रज्ञापनी भाषा
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धर्मोपदेश करना इसको प्रज्ञापनी भाषा कहते है। ये भाषा अधिक लोगों को उद्देश्य करके कही जाती है। कोई मनः पूर्वक सुनते है कोई नहीं सुनते इसकी अपेक्षा इसको असत्यमृषा कहते हैं।
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