प्रचला
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मद, खेद या थकावट आदि के कारण बैठे-बैठे ही झपकी आ जाना प्रचला है । प्रचला के तीव्र उदय में जीव किंचित् नेत्रों को खोलकर सोता है और सोता हुआ भी कुछ जागता रहता है। बार – बार सोता और जागता है। सिर थोड़ा-थोड़ा हिलता रहता है।
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