पुरुष
पुरुष वेद के उदय से जो अपत्य को जानता है, वह पुरुष है। निर्माण नामकर्म का उदय संयुक्त पुरुष वेद रूप आकार का विशेष लिए आंगोपांग नाम कर्म का उदय तैं मूंछ, दाढ़ी, लिंगादि चिन्ह संयुक्त शरीर का धारक जीव सो पर्याय का प्रथम समय तैं लगाय अन्त समय पर्यंत द्रव्य पुरुष हो है। पुरुष वेद के उदय तैं पुरुष का अभिलाषा रूप मैथुन संज्ञा का धारक जीव सो भाव पुरुष हो है ।