पुरुरवा
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एक भील था । एक समय मुनिराज के दर्शन कर मद्य, मांस, मधु का त्याग किया। इस व्रत के प्रभाव से सौधर्म स्वर्ग में देव हुआ। यह महावीर भगवान का दूरवर्ती पूर्वभव है। उनके मरीचि के भव की अपेक्षा यह दूसरा पूर्वभव है ।
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