पुद्गल
जो पूरण और गलन को प्राप्त हो वह पुद्गल है। अथवा रूप, रस, गंध व स्पर्श गुण जिसमें पाए जाते हैं वह पुद्गल है पुद्गल द्रव्य मूर्तिक(रूपी) और अचेतन है शब्द, बंध, सूक्ष्मपना, स्थूलपना, संस्थान (आकार) भेद, अन्धकार, छाया, आतप और उद्योत ये सभी पुद्गल द्रव्य की पर्यायें है। शरीर, मन, वचन और श्वांसोच्छवास यह पुद्गलों का उपकार है सुख-दुख, जीवन और मरण ये भी जीव के पुद्गलकृत उपकार हैं अर्थात् ये पुद्गल के निमित्त से होता है। पुद्गल के दो भेद हैं- परमाणु और स्कंध। इनमें परमाणु स्वभाव पुद्गल हैं और स्कन्ध विभाव पुद्गल है।