पर्याय समासज्ञान
जब वही पर्यायज्ञान अनन्तवें भाग के साथ मिल जाता है, तब वह पर्याय समास का श्रुतज्ञान कहलाने लगता है। श्रुत शुभज्ञान आवरण से सहित है, यह पर्याय समास ज्ञान अनन्त भाग वृद्धि, असंख्यात भाग वृद्धि, संख्यात भाग वृद्धि, अनन्त भाग हानि, असंख्यात भाग हानि और संख्यात भाग हानि, पर्याय ज्ञान से ऊपर संख्यात गुण वृद्धि, असंख्यात गुण वृद्धि अनन्त गुण वृद्धि के क्रम से वृद्धि होते-होते जब तक अक्षर ज्ञान की पूर्णता होती है, तब तक वह ज्ञान पर्याय समास ज्ञान कहलाता है।