परिणमन
द्रव्य का अवस्थान्तर को प्राप्त करना विपरिणाम या परिणमन कहलाता है। ज्ञान का ज्ञेय पदार्थ रूप से परिणमन करना अर्थात् यह हरा है, यह पीला है इत्यादि विकल्प रूप से ज्ञेय रूप पदार्थों में परिणमन करना भी परिणमन कहलाता है इतना अवश्य है कि एक द्रव्य दूसरे द्रव्य रूप परिणमन नहीं कर सकता । गुरू उपदेश के निमित्त से होने वाले परिणाम प्रयोगज हैं। अचेतन मिट्टी व कुम्हार आदि के प्रयोग से होने वाला घर आदि परिणाम प्रयोगज है तथा इन्द्र धनुष मेघ आदि रूप व सूक्ष्म / स्वाभाविक परिणाम है। धर्मादि द्रव्यों के गति रूप उपकार परिणाम अनादि हैं।