परम
परम का अर्थ ज्येष्ठ है (पर) अर्थात् अन्य जो भव्यप्राणी है ‘मा’ अर्थात् उनका उपकार करने वाली लक्ष्मी रूप समवसरण विभूति यह जिनके पायी जाए ऐसे अर्हन्त परम है अथवा परम का अर्थ है भावकर्म द्रव्यकर्म और नोकर्म से रहित विशुद्ध मोक्ष अवस्था । माध्यस्थ, समता, उपेक्षा, वैराग्य, साम्य, अस्पृहा, परम और शान्ति ये सब एकार्थवाची हैं।