पंचाचार
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अपनी शक्ति के अनुसार निर्मल किए गए सम्यग्दर्शन आदि में जो यत्न अर्थात् उस रूप परिणमन किया जाता है उसे आचार कहते हैं दर्शनाचार, ज्ञानाचार, चारित्राचार, तपाचार और वीर्याचार ऐसे पाँच प्रकार का आचार है इसे ही पंचाचार कहते हैं।
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