न्याय
ज्ञेय का अनुसरण करने वाला होने से, न्यायरूप होने से सिद्धान्त को न्याय कहते हैं । जिसके द्वारा निश्चय किया जाय, ऐसे नीति क्रिया का करना न्याय कहा जाता है। प्रमाण से वस्तु की परीक्षा करने का नाम न्याय है। प्रत्यक्ष और आगम के आश्रित अनुमान को अन्तरीक्षा कहते हैं । इसी का नाम आन्वीक्षिकी या न्याय विद्या व न्याय शास्त्र है।