निह्नव
कुल, व्रत शील विहीन मठ आदि का सेवन करने के कारण, कुल, व्रत, शील से महान गुरू के पास जाकर अच्छी तरह पढ़कर भी ‘मैंने ऐसे व्रती गुरू से कुछ भी नही पढ़ा ऐसा कहकर गुरू व शास्त्र का नाम छिपाना निह्नव है। किसी कारण से ऐसा नहीं है। मैं नहीं जानता, ऐसा कहकर ज्ञान का अपलाप करना निह्नव है। एक आचार्य के पास अध्ययन करके “मेरा गुरू तो अन्य है” ऐसा कहना अपलाप या निह्नव है।