निश्चय चारित्र
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रागादि विकल्पों से रहित होकर आत्मस्वरूप में लीन होना निश्चय – चारित्र है। शुक्ल ध्यान, वीतराग चारित्र, शुद्धोपयोग, उपेक्षासंयम, सर्वपरित्याग, उत्सर्ग या निश्चय – चारित्र ये एकार्थवादी हैं ।
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