निर्वृत्ति इन्द्रिय
रचना का नाम निर्वृत्ति है जो कर्म के द्वारा होती है। वह दो प्रकार की है- बाह्य और अभ्यन्तर। उत्सेधांगुल के असंख्यातवें भाग प्रमाण और प्रतिनियत चक्षु आदि इन्द्रियों के आकार रूप से अवस्थित शुद्ध आत्मप्रदेशों की रचना को अभ्यन्तर निर्वृत्ति कहते हैं तथा इन्द्रिय नाम वाले उन्हीं आत्मप्रदेशों में प्रतिनियत आकार रूप और नामकर्म के उदय से विशेष अवस्था को प्राप्त जो पुद्गल प्रचय होता है, उसे बाह्य निर्वृत्ति कहते हैं।