निर्वाण कल्याणक
तीर्थंकरों के निर्वाण के अवसर पर होने वाला उत्सव निर्वाण – कल्याणक कहलाता है। आयु पूर्ण होने के अंतिम समय में भगवान योगनिरोध करके ध्यान के द्वारा शेष सर्व कर्मों को क्षय कर देते हैं और आत्मा की परम विशुद्ध अवस्था में स्थित हो जाते हैं। देवगण भगवान के निर्वाण-कल्याणक की पूजा करते हैं। भगवान का शरीर कपूर की भाँति उड़ जाता है। इन्द्र उस स्थान पर भगवान के लक्षणों से युक्त सिद्धशिला का निर्माण करता है।