निर्वहण
सम्यग्दर्शनादि गुणों को निराकुलता से धारण करना अर्थात् परिषहादिक हो जाने पर भी व्याकुल चित्त न होकर सम्यग्दर्शनादि रत्नत्रय रूप परिणति से तत्पर रहना, उससे च्युत न होना। यह निर्वहण शब्द का अर्थ है।
सम्यग्दर्शनादि गुणों को निराकुलता से धारण करना अर्थात् परिषहादिक हो जाने पर भी व्याकुल चित्त न होकर सम्यग्दर्शनादि रत्नत्रय रूप परिणति से तत्पर रहना, उससे च्युत न होना। यह निर्वहण शब्द का अर्थ है।
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