निर्दोष
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निश्चय से ( सब सुख समुद्र मे प्रकार ) समस्त पापमल कलंकरूपी कीचड़ को धो डालने में समर्थ, सहज परमवीतराग सुख समुद्र में प्रकट सहजावस्था स्वरूप जो सहजज्ञान शरीर, उनके द्वारा पवित्र होने के कारण आत्मा निर्दोष है।
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