निरपेक्ष
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प्रमाण व नय के विषम परस्पर एक दूसरे की अपेक्षा करते हैं अथवा एक नय का विषय दूसरी नय के विषय की अपेक्षा करता है, इसी को सापेक्ष तत्त्व कहते हैं, निरपेक्ष तत्त्व इसके विपरीत है।
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