निमित्तिक सुख
साता असाता रूप अन्तरंग परिणाम के होते हुए बाह्यप्राप्य आदि के परिपाक के निमित्त से जो प्रीति और परिताप रूप परिणाम उत्पन्न होते हैं, वे निमित्तिक सुख या दुःख कहे जाते है। जो इन्द्रियों के द्वारा प्राप्त होता है वह परसंबंध युक्त बाधा सहित विच्छिन्न बंध का कारण और विषम है, इस प्रकार वह दुखी है।