नित्य पूजा
प्रतिदिन अपने घर से गंध, पुष्प, अक्षत आदि ले जाकर जिनालय में श्री जिनेन्द्र देव की पूजा करना सदार्चन अर्थात् नित्य मह कहलाता है। अथवा भक्तिभाव पूर्वक अर्हंत देव की प्रतिमा और मंदिर का निर्माण करना, अथवा दानपत्र लिखकर ग्राम, खेत आदि का भी दान देना सदार्चन कहलाता है। तथा इसके सिवाय अपनी शक्ति अनुसार नित्य दान देते हुए, महामुनियों की जो पूजा की जाती है, उसे भी नित्य मह समझना चाहिए ।