निगमन
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हेतु पूर्वक प्रतिज्ञा या पक्ष का वचन कहना निगमन है। प्रतिज्ञा का उपसंहार करना निगमन है। साधन को दोहराते हुए साध्य के निश्चय रूप वचन को निगमन कहते हैं। जैसे- धूम वाला होने से यह अग्निवाला ही है।
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