धूमप्रभा
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जिस पृथ्वी की प्रभा धुआँ के समान है। रत्नप्रभा को छोड़कर ( नरक की) शेष छह पृथ्वियों को पंक बहुल जानना चाहिए। इस पृथ्वी का प्रारंभ अधो-लोक में चार राजू जाने के बाद प्रारंभ होता है।
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