द्विचरम
चरम का अर्थ कह दिया गया है अर्थात् अन्तिम। दो अन्तिम देह हो सो द्विचरम है। दो मनुष्य देहों की अपेक्षा यहाँ द्विचरमत्व समझना चाहिए । विजयादि विमानों से च्युत सम्यक्त्व छूटे बिना मनुष्य में उत्पन्न हो संयम धार पुनः विजयादि विमानों में उत्पन्न हो, वहाँ से चयकर पुनः मनुष्य भव प्राप्त कर मुक्त होते हैं, ऐसा द्विचरम देहत्व का अर्थ है। विशेष देखिये— चरम।