त्रस
जिनके त्रस नामकर्म का उदय है वे त्रस कहलाते हैं। दो इन्द्रिय तीन इन्द्रिय चार इन्द्रिय और पाँच इन्द्रिय से सहित जीव त्रस हैं त्रस कायिक जीव दो प्रकार के हैं- विकलेन्द्रिय और सकलेन्द्रिय । द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय इन तीनों को विकलेन्द्रिय तथा शेष पंचेन्द्रिय जीवो को सकलेन्द्रिय कहते हैं। शंख आदि के द्वीन्द्रिय, चींटी आदि त्रीन्द्रिय और भौंरा(भ्रमर) आदि चतुरिन्द्रिय जीव हैं तथा सिंह आदि थलचर, मछली आदि जलचर, हंस आदि नभचर तिर्यंच तथा देव, नारकी, मनुष्य ये सब पंचेन्द्रिय जीव हैं। सभी त्रस जीव बादर ही होते हैं सूक्ष्म नहीं होते। एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय और असंज्ञी पंचेन्द्रिय में एक ही, प्रथम मिथ्यादृष्टि गुणस्थान होता है संज्ञी पंचेन्द्रिय जीवों में चौदह ही गुण स्थान होते हैं।