चर्चा कथा
विरोधी धर्मों में से किसी एक को सिद्ध करने के लिए एक दूसरे को जीतने की इच्छा रखने वाले वादी और प्रतिवादी परस्पर में जो हेतु और दूषण आदि देते हैं, वह वाद कहलाता है। वादी और प्रतिवादी में अपने पक्ष को स्थापित करने के लिए जो परस्पर में वचन प्रवृत्ति या चर्चा होती है, वह विजिगीषु कथा कहलाती है। और गुरु तथा शिष्य में अथवा राग-द्वेष रहित विशेष विद्वानों में तत्त्व के निर्णय होने तक जो चर्चा चलती है, वह वीतराग कथा है। इसमें विजिगीषु कथा को वाद कहते हैं । कोई (नैयायिक लोग) वीतराग कथा को विवाद कहते हैं। पर वह स्वग्रह मान्य अर्थात् अपने घर की मान्यता ही है। क्योंकि लोक में गुरू-शिष्य आदि की सौम्य चर्चा को वाद या शास्त्रार्थ नहीं कहा जाता स्वामी समन्तभद्राचार्य ने सभी एकान्तवादियों को वाद में जीत लिया ।