ग्रहण
राहू के द्वारा चन्द्रमा आच्छादित होता है और केतु के द्वारा सूर्य आच्छादित होता है, इसी का नाम ग्रहण है। राहू का विमान चन्द्र विमान के नीचे और केतु का विमान सूर्य विमान के नीचे गमन करता है प्रत्येक छह मास बाद पर्व के अन्त में अर्थात् पूर्णिमा और अमावस्या के अन्त में राहु चन्द्रमा को तथा केतु सूर्य को आच्छादित करता है।