ग्रन्थ
1. गणधर के द्वारा रचा गया द्रव्यश्रुत ग्रन्थ कहा जाता है। यहाँ ग्रन्थ का अर्थ शास्त्र है। 2. जो संसार की रचना करते हैं ऐसे मिथ्यादर्शन असंयम आदि परिणामों को ग्रन्थ कहा गया है। ये मिथ्यात्वादि ग्रन्थ है क्योंकि वे कर्म बंध कारण है और इनका त्याग करना निर्ग्रन्थता है। यहाँ ग्रन्थ का अर्थ परिग्रह है।