गुणश्रेणी निर्जरा
गुण शब्द का अर्थ गुणाकार है तथा उसकी श्रेणी, आवली या पंक्ति का नाम गुण श्रेणी है। गुणित क्रम से (विद मल्टीफिकेशन) उत्तरोत्तर समयों में कर्म परमाणुओं का झरना गुण श्रेणी निर्जरा है जैसे किसी जीव के पहले समय में दस कर्म परमाणु उदय में आए फिर दूसरे समय से दस X असंख्यात कर्म परमाणु उदय में आए इस तरह लगातार असंख्यात—असंख्यात गुणे कर्म परमाणुओं का उदय में आकर झरना गुणश्रेणी निर्जरा है। गुणश्रेणी निर्जरा में अशुभ कर्मों का अनुभाग (रस) भी मन्द पड़कर उदय में आता है वैसे गुणश्रेणी निर्जरा शुभ–अशुभ दोनों कर्मों की होती है चतुर्थ गुणस्थान में निरन्तर गुण श्रेणी निर्जरा नहीं होती संयम(देशव्रत या महाव्रत) होने पर ही निरन्तर गुण श्रेणी निर्जरा होती है अर्थात् पंचम गुणस्थान से निरन्तर गुणश्रेणी निर्जरा होती है।