गन्ध नामकर्म
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जिस नामकर्म के उदय से जीव के शरीर में अपनी जाति के अनुरूप गंध उत्पन्न होती है, उसे गंध-नामकर्म कहते हैं । यह दो प्रकार का हैसुरभि-गंध और दुरभि – गंध नामकर्म।
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