क्षण लव प्रतिबुद्धता
क्षण और लव ये काल के विशेष नाम हैं। सम्यग्दर्शन, ज्ञान, व्रत और शील गुणों को उज्ज्वल करने, मल को धोने अथवा जलाने का नाम प्रतिबोधन है और इसके भाव का नाम प्रतिबोधनता है। प्रत्येक क्षण और लव में होने वाले प्रतिबोध को क्षण लव प्रतिबुद्धता कहते हैं। उस एक ही क्षण लव प्रतिबुद्धता से तीर्थंकर नामकर्म का बंध होता हैं। इस में भी पूर्व के समान शेष करणों का अंतरभाव दिखलाना चाहिये । इसलिए ये तीर्थंकर नाम कर्म के बंध के पाँचवा कारण है।