आकाश पुष्प
वनस्पति नामकर्म का जिस जीव के उदय है। वह जीव और पुद्गल का समुदाय पुष्प कहा जाता है। जिस प्रकार वृक्ष के द्वारा व्याप्त होने पर वह पुष्प पुद्गल वृक्ष का कहा जाता है उसी प्रकार आकाश के द्वारा व्याप्त होने के कारण उसे आकाश का भी कहा जा सकता है। वृक्ष से टूटकर फूल गिर भी जाये पर आकाश से तो कोई भी दूर नहीं हो सकता, सदा आकाश में ही रहता है। इस प्रकार यह बात आकाश पुष्प में भी लागू हो जाती है, वह भी सत्य सिद्ध हो जाता है।