संहनन नामकर्म
जिस कर्म के उदय से अस्थियों का बन्धन विशेष होता है वह संहनन नामकर्म है संहनन नामकर्म छह प्रकार का है- वज्रवृषभनाराच, वज्र नाराच, नाराच अर्धनाराच, कीलक और असंम्प्राप्ता-सृपाटिका । जिस कर्म के उदय से वज्रमय हड्डियाँ वज्रमय वेष्ठन से वेष्टित और वज्रमय नाराच (कील) से कीलित होती है वह वज्रवृषभनाराच संहनन नामकर्म कहलाता है वह हड्डियों का अत्यन्त सुदृढ़ बंधन है जिस कर्म के उदय से वज्रमय हड्डियाँ वज्रमय वेष्ठन से रहित मात्र वज्रमय नाराच (कील) से कीलित होती है वह वज्रनाराच संहनन नामकर्म है। जिस कर्म के उदय से वज्रविशेषण से रहित और वेष्ठन से रहित हड्डियों की संधियाँ नाराच (कील) से युक्त होती है वह नाराच संहनन है जिस कर्म के उदय से हड्डियों की संधियाँ परस्पर नाराच (कीलों) से आधी बिंधी हुई होती है अथवा एक तरफ नाराच युक्त तथा दूसरी ओर नाराच रहित होती हैं वह अर्धनाराच संहनन है। जिस कर्म के उदय से वज्ररहित हड्डियाँ और कीलें होती हैं अथवा हड्डियों के छोरों में कील लगी हो वह कीलक संहनन है। जिस कर्म के उदय से भीतर हड्डियों का परस्पर बन्ध न हो मात्र बाहर से वे सिरा स्नायु मांस आदि लपेट कर संघटित की गई हो वह असंप्राप्तासृपाटिका संहनन है। प्रारम्भ के तीन संहनन अर्थात् वज्रवृषभ नाराच संहनन, वज्र नाराच संहनन और नाराच संहनन ये तीनों ध्यान की वृत्ति विशेष का कारण होने से उत्तम संहनन कहे गए हैं लेकिन उपरोक्त तीन संहनन में से मोक्ष का कारण एकमात्र प्रथम संहनन मात्र होता है। कर्मभूमि की स्त्रियों के अन्त के तीन अर्थात् अर्धनाराच आदि संहनन का ही उदय होता है। प्रारम्भ के तीन वज्रवृषभ नाराच आदि संहनन का उदय नहीं होता। प्रथम संहनन वाला मरकर पंच अनुत्तरविमान में उत्पन्न हो सकता है, द्वितीय संहनन वाला नवअनुदिश तक जा सकता है, तृतीय संहनन वाला नवग्रेवेयक तक, चतुर्थ संहनन वाला अच्युत स्वर्ग तक, पंचम संहनन वाला सहस्रार स्वर्ग तक और छठवें असंप्राप्ता – सृपाटिका संहनन वाला जीव मरकर कापिष्ठ स्वर्ग तक उत्पन्न हो सकता है। प्रथम संहनन वाला मनुष्य व मत्स्य मरकर नरक की सातवीं पृथिवी तक जा सकता है। दूसरे, तीसरे और चौथे सहनन वाला मनुष्य व स्त्री छठवी पृथ्वी तक । पाँचवे संहनन वाला सिंह पाँचवी पृथिवी तक पाँचवे संहनन वाला भुजंग चौथी पृथिवी तक । छठवें संहनन वाला पक्षी तथा उपरोक्त सभी तीसरी पृथिवी तक सरीसृप और असंज्ञी जीव पहली पृथिवी तक ही उत्पन्न होते हैं।