विहायोगति नामकर्म
विहायस् का अर्थ आकाश है उसमें गति का निर्वर्तक कर्म विहायोगति-नामकर्म है अर्थात् जिस कर्म के उदय से भूमि का आश्रय लेकर या भूमि का आश्रय लिए बिना भी जीवों का आकाश में गमन होता है, वह विहायोगति नामकर्म है। यह दो प्रकार का है प्रशस्त और अप्रशस्त । हाथी, बैल, हंस आदि की अच्छी चाल को प्रशस्त विहायोगति कहते हैं । ऊँट या सप्र आदि की अटपटी चाल को अप्रशस्त विहायोगति कहते हैं ।