ब्रह्मचर्य तप ऋद्धि
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जिनका बह्म अर्थात् चारित्र शान्त है, वह अघोर गुण ब्रह्मचर्य कहलाते हैं, ऐसे मुनि शान्ती और पुष्टी के कारण होते हैं। इसलिए उनके तपश्चरण के माध्यम से ईति-भीति, युद्ध और दुर्भिक्षादि शान्त हो जाते है।
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