बकुश
जो निर्ग्रन्थ होते हैं, व्रतों का अखण्ड रूप से पालन करते हैं लेकिन शरीर और उपकरणों की शोभा बढ़ाने में लगे रहते हैं परिवार से घिरे रहते हैं, और यश की कामना रखते हैं, विविध प्रकार के मोह से युक्त है वे बकुश कहलाते हैं। यहाँ पर बकुश शब्द शब्ल अर्थात चित्त – विचित्र शब्द का पर्यायवाची है। बकुश दो प्रकार के हैं – उपकरण बकुश है शरीर बकुश। उपकरणों से जिनका चित्त आसक्त है जो विचित्र परिग्रह युक्त है जो सुन्दर सजे हुए उपकरणों की आकांक्षा करते हैं वे उपकरण बकुश है तथा शरीर का संस्कार करने वाले शरीर बकुश कहलाते हैं। ये सभी तीर्थंकरों के तीर्थ में होते हैं। इनके द्रव्य लिंग एवं भावलिंग दोनों होते हैं। उपकरणों के प्रति आसक्ति होने से कदाचित् आर्तध्यान एवं रौद्रध्यान सम्भव है, अतः इनके छहों लेश्याएँ होती हैं। ये उत्कृष्ट से स्वर्ग और जघन्य से सौधर्म स्वर्ग अच्युत जाते हैं। श्रुतज्ञान ज्ञान की अपेक्षा उत्कृष्ट 14 पूर्व के पाठी थे और जघन्य अष्ठ प्रवचनमात्रिका का ज्ञान होता है और सामायिक छेदोपस्थापना होते हैं ।