प्रोषधोपवास
1. प्रोषध का अर्थ पर्व है । पर्व के दिन में जो उपवास किया जाता है उसे प्रोषधोपवास कहते हैं चतुद्रशी और अष्टमी के दिन चारों प्रकार के आहार का त्याग करना प्रोषधोपवास कहलाता है। उपवास के दिन श्रावक पाँच पापों का एवं श्रंगार, गंध, पुष्प स्नान, आरम्भ आदि का त्याग करें और आलस्य रहित होकर धर्मामृत का स्वयं सेवन करे व दूसरों को करावे अथवा ज्ञान ध्यान में तत्पर रहकर दिन-व्यतीत करे । 2. दिन में एक बार भोजन करना प्रोषध है और चार प्रकार के आहार का त्याग करना उपवास है जो धारणा और पारणा के लिए प्रोषध सहित समस्त पाप कार्य आदि को छोड़कर धर्मध्यानपूर्वक उपवास किया जाता है उसे प्रोषधोपवास कहते हैं। प्रोषधोपवास तीन प्रकार का है- उत्तम, मध्यम व जघन्य | सप्तमी या त्रयोदशी के दिन मात्र एक बार आहार ग्रहण करना, अष्टमी या चतुद्रशी को चारों प्रकार के आहार का त्याग करना एवं नवमी या पन्द्रस के दिन पुनः मात्र एक बार आहार ग्रहण करना उत्तम प्रोषधोपवास है। जल को छोड़कर तीनों प्रकार के आहार का त्याग करना मध्यम प्रोषधोपवास है शेष क्रियाऐं उत्तम के समान ही हैं। जो अष्टमी व चतुद्रशी के दिन मात्र अचानक निर्विकृति आदि एक बार ग्रहण करता है उसे जघन्य प्रोषधोपवास कहा गया है। प्रोषधोपवास नामक शिक्षा व्रत और प्रोषधोपवास नामक चतुर्थ प्रतिमा में इतना अन्तर है कि शिक्षा व्रत पालन करने वाला श्रावक कभी उपवास नहीं कर पाता था आगे-पीछे करता है लेकिन चतुर्थ प्रतिमा में नियमपूर्वक उपवास करता है।