प्रमाण निर्माण
काल को और जाति को आश्रय करके जीवों के प्रमाण को निर्माण करने वाला निर्माण नामकर्म है। यह प्रमाण निर्माण नामकर्म न हो तो जंघा, बाहु, सिर और नासिका आदि का विस्तार और आयाम लोक के अन्त तक फैलने वाले हो जायेंगे। उस-उस जाति नामकर्म के अनुसार चक्षु आदि अवयवों या आंगोपांग के प्रमाण की रचना करने वाला प्रमाण निर्माण नामकर्म है।